
Sai Baba Vrat Katha एक पवित्र और चमत्कारी कथा है, जिसे श्रद्धालु हर गुरुवार को व्रत रखकर पढ़ते हैं। यह कथा साईं बाबा की अपार कृपा, श्रद्धा और सबुरी के संदेश को दर्शाती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक करने से जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं, मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और साईं बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्रत न केवल भक्तों की आस्था को मजबूत करता है, बल्कि उन्हें आत्मिक शांति और सुख-समृद्धि भी प्रदान करता है।
Also Read: Sai Baba Aarti : साईं बाबा की आरती के शब्द और महत्व
Sai Baba Vrat Katha
कोकिला नाम की महिला और उनके पति महेशभाई गुजरात के एक शहर में रहते थे। वे दोनों एक-दुसरे के साथ प्रेमभाव से रहते थे। लेकिन महेशभाई का स्वाभाव झगड़ालू था। वहीं कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर हमेशा विश्वास रखती थीं। झगड़ालू स्वाभाव के कारण उनके पति का धंधा-रोजगार ठप होने लगा और दूसरा कमाई को कोई जरिया नहीं था। रोजगार ठप हो जाने की वजह से महेशभाई अब दिनभर घर पर ही रहने लगे और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली। खाली रहने के कारण उनका स्वभाव भी अधिक चिड़चिड़ा हो गया।
एक दिन दोपहर का समय था। एक बुजुर्ग इंसान दरवाजे पर आकार खड़े हो गए और उन्होंने दल-चावल की मांग की। धार्मिक स्वभाव की कोकिला बहन ने दल-चावल दिए और दोनों हाथों से उस बुजुर्ग इंसान को प्रणाम किया। बुजुर्ग ने कहा साईं सुखी रखे, तब कोकिला बहन ने कहा बाबा सुख मेरी किस्मत में नहीं है और फिर उन्होंने अपने बारे में सभी जानकारी दी।
तब बुजुर्ग इंसान ने कोकिला बहन को साईं बाबा के व्रत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत के करने से सभी मनोकामना पूरी होगी और बाबा का आशीर्वाद हमेशा उसके घर पर बना रहेगा। बुजुर्ग की बात मानकर कोकिला बहन ने 9 गुरुवार व्रत किया। जैसे बाबा ने बताया सभी कार्य किए। उसके थोड़े समय के बाद घर में सुख समृधि बढ़ गई। दोनो पति-पत्नी सुख-शांति से रहने लगे। उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया और महेशभाई का स्वाभाव भी बदल गया।
एक दिन कोकिला बहन के जेठ-जेठानी सूरत से आए। बातों-बातों में उन्होंने बताया कि उनके बच्चें पढ़ाई-लिखाई में ध्यान नहीं देते हैं, जिसकी वजह से वह परिक्षा में फेल भी हो जाते हैं। तब कोकिला बहन ने 9 गुरुवार साईं बाबा का व्रत रखने को कहा और उनकी महिमा के बारे में बताया। साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह पढ़ाई-लिखाई कर पाएंगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना बहुत जरूरी है।
सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है। उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबें जेठ के ऑफिस में दी थी। फिर एक के बाद ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए। हे साईं बाबा आप जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना और अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखना।
Also Read: Sai Baba Vrat Vidhi : साईं बाबा व्रत कैसे करें
Sai Baba Vrat Katha | Full Video
साईं बाबा से जुड़ने का सरल मार्ग
साईं बाबा से जुड़ने का सरल मार्ग श्रद्धा, सबुरी और सेवा के रास्ते से होकर जाता है। साईं बाबा ने हमेशा सच्चे मन, निष्कलंक आस्था और दूसरों की मदद करने की भावना को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान को पुकारता है, वह कभी खाली नहीं लौटता। नियमित रूप से साईं व्रत करना, उनकी कथाओं का श्रवण और “ॐ साईं राम” का जाप करना, बाबा से जुड़ने का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय है। जब हम निष्काम भाव से भक्ति करते हैं, तो साईं बाबा स्वयं हमारे जीवन में मार्गदर्शक बन जाते हैं।
Also Read
- Karva Chauth Kab Hai? कार्तिक महीने में व्रत की तारीख, विधि और चंद्र दर्शन का समय जानें
- Hariyali Teej Katha : हरियाली तीज व्रत की पूरी पौराणिक कथा और महत्व
- Karva Chauth Aarti 2025: करवा चौथ आरती | संपूर्ण पाठ और महत्व हिंदी में
- Hariyali Teej 2025 : हरियाली तीज की विधि और सभी संबंधित जानकारी
- Karwa Chauth Katha : करवा चौथ की संपूर्ण व्रत कथा 2025 | पारंपरिक कहानी और महत्व
Sai Baba Vrat Katha Sai Baba Vrat Katha Sai Baba Vrat Katha Sai Baba Vrat Katha