
” Om Jai Jagdish Hare “ एक प्रसिद्ध हिन्दू आरती है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे 19वीं शताब्दी में पंडित शारदा राम फिल्लौरी द्वारा रचा गया था और यह मंदिरों और घरों में प्रतिदिन पूजा के दौरान गाई जाती है। इस आरती में भगवान विष्णु की महिमा, उनकी कृपा, संरक्षण और भक्तों पर होने वाली उनकी दयालुता का गुणगान किया गया है। इसकी मधुर धुन और भावपूर्ण शब्द भक्तों के हृदय में भक्ति और श्रद्धा की भावना उत्पन्न करते हैं। यह आरती विशेष रूप से संध्या पूजा के समय गाई जाती है, जब भक्तजन तालियां बजाकर भक्ति भाव से भगवान की स्तुति करते हैं, जिससे वातावरण आध्यात्मिक और शांति से भर जाता है।
Om Jai Jagdish Hare Aarti
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जै जगदीश हरे ।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे ॥१॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥२॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥३॥
तुम हो पूर्ण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥४॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥५॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ गोसाईं तुमको मैं कुमती ॥६।।
दीनबन्धु दुःख हरता तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ॥७।।
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥८॥
Om Jai Jagdish Hare Lyrics | In Hindi & English
Meaning Behind Om Jai Jagdish Aarti
“ॐ जय जगदीश हरे” आरती भगवान विष्णु की महिमा और उनकी कृपा को समर्पित है, जो संसार के पालनहार और रक्षक माने जाते हैं। इसके शब्द भक्तों की गहरी श्रद्धा और समर्पण को दर्शाते हैं, जिसमें भगवान को संकट हरने वाले, सुख-समृद्धि प्रदान करने वाले और पापों का नाश करने वाले के रूप में स्तुति की गई है। प्रत्येक पद में उनके करुणामय स्वरूप, भक्तों की इच्छाएँ पूरी करने और जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन देने की महिमा का वर्णन किया गया है। इस आरती का बार-बार उच्चारण करना यह विश्वास जगाता है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की सदा रक्षा और सहायता करते हैं। यह आरती भक्ति और आत्मसमर्पण की भावना को प्रकट करती है और ईश्वर की कृपा पर पूर्ण विश्वास रखने की प्रेरणा देती है।
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