
Hariyali Teej Katha: हरियाली तीज भारतीय सनातन परंपरा का एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायक पर्व है, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना हेतु श्रद्धा भाव से मनाती हैं। यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जब सम्पूर्ण वातावरण हरियाली से आच्छादित होता है। हरियाली तीज का धार्मिक महत्व शिव-पार्वती की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को प्राप्त किया था। इस व्रत की कथा का पाठ न केवल धार्मिक अनुष्ठान का एक भाग है, बल्कि यह भक्तों को माता पार्वती की भक्ति, धैर्य और समर्पण की प्रेरणा भी देता है।
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Hariyali Teej Katha | हरियाली तीजकी की पौराणिक कथा
शिवजी ने पार्वतीजी को उनके पूर्वजन्म का स्मरण कराने के लिए तीज की कथा सुनाई थी। शिवजी कहते हैं- हे पार्वती तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। अन्न-जल त्यागा, पत्ते खाए, सर्दी-गर्मी, बरसात में कष्ट सहे।
तुम्हारे पिता दुःखी थे। नारदजी तुम्हारे घर पधारे और कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। वह आपकी कन्या से प्रसन्न होकर विवाह करना चाहते हैं। अपनी राय बताएं।
पर्वतराज प्रसन्नता से तुम्हारा विवाह विष्णुजी से करने को तैयार हो गए। नारदजी ने विष्णुजी को यह शुभ समाचार सुना दिया पर जब तुम्हें पता चला तो बड़ा दु.ख हुआ। तुम मुझे मन से अपना पति मान चुकी थीं। तुमने अपने मन की बात सहेली को बताई।
सहेली ने तुम्हें एक ऐसे घने वन में छुपा दिया जहां तुम्हारे पिता नहीं पहुंच सकते थे। वहां तुम तप करने लगी। तुम्हारे लुप्त होने से पिता चिंतित होकर सोचने लगे यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आ गए तो क्या होगा।
शिवजी ने आगे पार्वतीजी से कहा- तुम्हारे पिता ने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक कर दिया पर तुम न मिली। तुम गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना में लीन थी। प्रसन्न होकर मैंने मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। तुम्हारे पिता खोजते हुए गुफा तक पहुंचे।
तुमने बताया कि अधिकांश जीवन शिवजी को पतिरूप में पाने के लिए तप में बिताया है। आज तप सफल रहा, शिवजी ने मेरा वरण कर लिया। मैं आपके साथ एक ही शर्त पर घर चलूंगी यदि आप मेरा विवाह शिवजी से करने को राजी हों।
पर्वतराज मान गए। बाद में विधि-विधान के साथ हमारा विवाह किया। हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हमारा विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं। उसे तुम जैसा अचल सुहाग का वरदान प्राप्त हो।
Hariyali Teej Katha Lyrics | Full Video | In Hindi
Hariyali Teej 2025: व्रत का धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हरियाली तीज, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है, भारतीय संस्कृति का एक अत्यंत पावन और समृद्ध पर्व है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी इसका गहरा महत्व है।
धार्मिक महत्व:
हरियाली तीज का सीधा संबंध माता पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन से है। मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या के पश्चात भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। इस दिन व्रत रखकर महिलाएं माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने तथा वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य की कामना करती हैं। कथा वाचन, पूजा विधि और शिव-पार्वती के नाम का स्मरण इस व्रत की प्रमुख धार्मिक क्रियाएं हैं।
सामाजिक महत्व:
हरियाली तीज स्त्रियों को आपस में जोड़ने और सामूहिक रूप से धर्म-संस्कारों में भाग लेने का अवसर प्रदान करती है। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सज-धजकर झूला झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और सामूहिक रूप से व्रत व कथा में भाग लेती हैं। यह पर्व नारी एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्व:
हरियाली तीज भारतीय लोकसंस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। इस दिन पारंपरिक नृत्य, गीत, मेंहदी रचना, हरे वस्त्र पहनना और शृंगार करना एक सांस्कृतिक परंपरा बन चुकी है। यह पर्व प्रकृति से जुड़ने का भी प्रतीक है, क्योंकि सावन की हरियाली और वर्षा का सौंदर्य इस दिन को और भी मनोरम बना देता है।
संक्षेप में, हरियाली तीज केवल एक व्रत नहीं, बल्कि भारतीय नारी शक्ति की श्रद्धा, प्रेम और संस्कृति का उत्सव है, जो धर्म, समाज और परंपरा—तीनों को एक सूत्र में पिरोता है।
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