घी का दिया या तेल का दिया – कौन सा शुभ है? जानिए दोनों के धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व

ghee ka diya

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हिंदू धर्म में दीपक जलाना केवल एक परंपरा नहीं बल्कि एक गहरी आध्यात्मिक प्रक्रिया मानी जाती है। मंदिरों, घरों और पूजा स्थलों में दीपक का जलना ईश्वर के प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है। लेकिन जब बात आती है कि घी का दीपक जलाना अधिक शुभ है या तेल का दीपक, तो इसके पीछे धार्मिक ग्रंथों, शास्त्रों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण – तीनों के अलग-अलग आयाम मिलते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि दोनों दीपकों का क्या महत्व है और किस परिस्थिति में कौन-सा दीपक जलाना अधिक शुभ माना जाता है।

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घी का दीपक जलाने का महत्व

घी का दीपक जलाना सबसे पवित्र और सात्त्विक कर्मों में से एक माना गया है। गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, गाय के दूध से बने शुद्ध घी से दीपक जलाने पर देवता प्रसन्न होते हैं और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

1. आध्यात्मिक दृष्टि से:
घी अग्नि तत्व को सक्रिय करता है और मानसिक शुद्धि प्रदान करता है। जब घी का दीपक जलता है, तो उससे निकलने वाली लौ स्थिर और उज्ज्वल होती है, जो ध्यान और आराधना के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।

2. देवता पूजन में उपयोग:
गाय के घी का दीपक विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा, हवन, नवरात्रि, दीपावली आदि में जलाया जाता है। देवी लक्ष्मी और विष्णु भगवान की आराधना के समय घी का दीपक अधिक फलदायी माना जाता है।

3. स्वास्थ्य और वातावरण पर प्रभाव:
घी की सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है और जीवाणुनाशक गुणों के कारण रोगाणुओं को नष्ट करती है। यह मानसिक शांति और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक है।

तेल का दीपक जलाने का महत्व

तेल का दीपक भी उतना ही महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से जब उसे भक्ति भाव और नियमपूर्वक जलाया जाए। विभिन्न प्रकार के तेलों जैसे तिल, सरसों या दीपक तेल का चयन देवता और अवसर के अनुसार किया जाता है।

1. तिल के तेल का धार्मिक उपयोग:
तिल का तेल सबसे शुभ माना गया है, विशेष रूप से शनि देव, भैरव जी और हनुमान जी की पूजा में। तिल तेल का दीपक नकारात्मक ऊर्जा, ग्रह दोष और शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाता है।

2. सरसों के तेल का प्रयोग:
सरसों का तेल आमतौर पर हनुमान मंदिरों में जलाया जाता है। यह ऊर्जा और साहस का प्रतीक है। इसका दीपक जलाने से भय, रोग और शत्रु बाधाएं दूर होती हैं।

3. आर्थिक दृष्टि से सुलभ और प्रभावी:
तेल का दीपक लंबे समय तक जलता है और इसकी लौ स्थिर रहती है, इसलिए मंदिरों और बड़े अनुष्ठानों में इसे उपयोगी माना जाता है।

Also Watch: घर के मंदिर में कौन सा दीपक जलाना चाहिए, घी का या तेल का?

कौन सा दीपक कब जलाना चाहिए

दोनों दीपकों का उपयोग शुभ है, लेकिन समय, देवता और उद्देश्य के अनुसार चयन करने से उसका फल कई गुना बढ़ जाता है।

अवसर / देवतादीपक का प्रकारपरिणाम
लक्ष्मी पूजन, विष्णु पूजाघी का दीपकधन-संपत्ति और सुख की वृद्धि
हनुमान जी, शनि देव, भैरव पूजातिल या सरसों तेल का दीपकनकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा
घर में नित्य पूजाघी का दीपकशुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा
शनिवार या अमावस्या तिथितिल तेल का दीपकदोष-निवारण और ग्रह शांति
दीपावली, नवरात्रि या हवनघी का दीपकपूर्ण फलप्राप्ति और मंगलकारी प्रभाव

शास्त्रीय मत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

शास्त्रों में घी को “सात्त्विक” और तेल को “तामसिक-राजसिक” गुणों वाला माना गया है। इसका अर्थ यह नहीं कि तेल अशुभ है, बल्कि यह कि घी का दीपक आत्मिक उन्नति के लिए और तेल का दीपक भौतिक बाधाओं के निवारण के लिए उपयोगी है।

वैज्ञानिक रूप से, घी और तेल दोनों में ऐसे तत्व होते हैं जो वातावरण में नकारात्मक आयनों को संतुलित करते हैं। घी की लौ से निकलने वाली सुगंध मस्तिष्क की नसों को शांत करती है, जबकि तेल की लौ स्थायी ताप देती है, जिससे वातावरण में स्थिरता आती है।

निष्कर्ष

घी और तेल, दोनों दीपक अपने-अपने स्थान पर शुभ और प्रभावशाली हैं। यदि आप घर में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं, तो घी का दीपक सर्वोत्तम है। वहीं यदि आप शनि दोष, नकारात्मक ऊर्जा या बाहरी बाधाओं से मुक्ति चाहते हैं, तो तिल या सरसों तेल का दीपक जलाना श्रेष्ठ है।

अंततः, दीपक का महत्व उसकी लौ में नहीं बल्कि उसे जलाने वाले के श्रद्धा और भाव में निहित है। जब भावना शुद्ध हो, तो चाहे घी का दीपक हो या तेल का — दोनों ही ईश्वर तक पहुँचाने वाले प्रकाश-पथ बन जाते हैं।

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