Ganpati Chaturthi 2025: पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और क्षेत्रीय परंपराएँ

Ganpati Chaturthi

गणपति चतुर्थी का परिचय

गणपति चतुर्थी, जिसे कई क्षेत्रों में विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश की आराधना का अत्यंत मंगलकारी दिन है। इस दिन को बुद्धि, सौभाग्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में यह पर्व अपने-अपने तरीके से उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।

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धार्मिक मान्यताएँ और महत्व

मान्यता है कि गणपति चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ था। भक्त विश्वास रखते हैं कि इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

गणपति चतुर्थी की तिथि और शुभ समय (2025)

  • चतुर्थी आरंभ: 26 अगस्त 2025, दोपहर 1:54 बजे
  • चतुर्थी समाप्त: 27 अगस्त 2025, दोपहर 3:44 बजे
  • मध्याह्न पूजा मुहूर्त: 27 अगस्त को सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:40 बजे तक शुभ माना गया है।

इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है। 26 अगस्त (दोपहर 1:54 से रात 8:29 तक) और 27 अगस्त (सुबह 9:28 से रात 8:57 तक) चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए।

गणपति चतुर्थी पर प्रमुख अनुष्ठान

  • गणपति बप्पा की मूर्ति को घर या पंडाल में स्थापित किया जाता है।
  • धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित कर षोडशोपचार पूजा की जाती है।
  • विशेष रूप से मोदक का भोग लगाया जाता है क्योंकि इसे गणेश जी का प्रिय प्रसाद माना गया है।
  • परिवार व समुदाय मिलकर आरती, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

क्षेत्रीय उत्सव और परंपराएँ

  • महाराष्ट्र: यहाँ गणपति चतुर्थी सबसे बड़े पैमाने पर मनाई जाती है। मुंबई का लालबागचा राजा और पुणे के पंडाल देश-विदेश से भक्तों को आकर्षित करते हैं।
  • दक्षिण भारत: तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इसे विनायक चविथि के रूप में जाना जाता है और यहाँ केले के पत्ते पर प्रसाद चढ़ाने की परंपरा है।
  • उत्तर भारत: घर में साधारण पूजा, व्रत और आरती के साथ यह दिन मनाया जाता है।

गणपति चतुर्थी उत्सव को विशेष बनाने के सुझाव

  • मिट्टी से बनी पर्यावरण-अनुकूल मूर्ति की स्थापना करें।
  • घर को तोरण, फूलों और दीपों से सजाएँ।
  • परिवार के सभी सदस्यों को पूजा में सम्मिलित करें।
  • पड़ोस और समाज के साथ मिलकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करें।
  • विसर्जन के समय मंत्रोच्चार और “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे के साथ विदाई दें।

विसर्जन का महत्व

गणपति चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी को गणेश विसर्जन के साथ होता है। वर्ष 2025 में विसर्जन तिथि 6 सितंबर 2025 रहेगी। यह दिन भगवान गणेश को भावपूर्ण विदाई देने और उनके पुनः आगमन की प्रतीक्षा का प्रतीक है।


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