Ekadashi Aarti : भगवान विष्णु की भक्तिमय स्तुति

Ekadashi Aarti भगवान विष्णु की आराधना का एक प्रमुख अंग है, जिसे भक्तजन एकादशी व्रत के दौरान श्रद्धा भाव से गाते हैं। यह आरती भक्ति, समर्पण और आंतरिक शुद्धता का प्रतीक है, जो व्रत की पूर्णता और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम बनती है। आरती के समय दीप, धूप, पुष्प और घंटियों की मधुर ध्वनि के साथ भगवान विष्णु का गुणगान किया जाता है, जिससे वातावरण पवित्र और भक्तिपूर्ण हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी की रात की गई आरती विशेष फलदायी होती है और विष्णु जी शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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Ekadashi Aarti

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जै जगदीश हरे ।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे ॥१॥

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥२॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥३॥

तुम हो पूर्ण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥४॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ॥५॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूँ गोसाईं तुमको मैं कुमती ॥६।।

दीनबन्धु दुःख हरता तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ॥७।।

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ॥८॥

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Ekadashi Aarti Full Lyrics | In Hindi

एकादशी पर तुलसी पूजन का महत्व

एकादशी के दिन तुलसी पूजन का विशेष धार्मिक महत्व है, क्योंकि तुलसी माता को भगवान विष्णु की प्रिय भक्त एवं अंश माना गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि एकादशी व्रत बिना तुलसी पत्र के अधूरा माना जाता है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तुलसी दल अर्पण करना अनिवार्य है, क्योंकि वे बिना तुलसी के किसी भी भोग या पूजा को स्वीकार नहीं करते।

एकादशी पर तुलसी के पौधे के समीप दीपक जलाना, जल अर्पण करना और उसकी परिक्रमा करना पुण्यदायक माना जाता है। यह न केवल व्रत को पूर्ण बनाता है, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और शुद्धता भी बनाए रखता है। तुलसी पूजन से जीवन में पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है।

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