brihaspativar vrat katha aarti : गुरु कृपा प्राप्ति का सरल उपाय

Brihaspativar Vrat Katha Aarti : बृहस्पतिवार व्रत की कथा में एक धर्मपरायण ब्राह्मण महिला की कहानी है जो अपने घर की आर्थिक तंगी से परेशान थी। गुरुवार का व्रत और व्रत कथा सुनने से उसकी स्थिति में सुधार हुआ और घर में सुख-शांति लौट आई। इस कथा के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करने से जीवन की सभी परेशानियाँ दूर होती हैं। कथा सुनने के बाद बृहस्पति देव की आरती की जाती है – “जय जय श्री बृहस्पति देव, दयालु करुणा के सागर।” आरती के माध्यम से भक्त भगवान बृहस्पति से कृपा, ज्ञान और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।

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brihaspativar vrat katha aarti

जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ, कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटा‌ओ, संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा, जय वृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

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brihaspativar vrat katha aarti | Full Video In Hindi

Benefits Of brihaspativar vrat katha aarti

बृहस्पतिवार व्रत की आरती करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह आरती गुरु बृहस्पति की कृपा पाने का एक प्रभावशाली माध्यम है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। आरती से आत्मबल और विश्वास बढ़ता है, तथा घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बनता है। साथ ही, यह आरती गुरु दोष, आर्थिक संकट और वैवाहिक बाधाओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है। नियमित रूप से श्रद्धा से की गई आरती जीवन में सुख-शांति और सफलता लाने वाली होती है।

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