
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi : अहोई अष्टमी व्रत विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना के लिए माताओं द्वारा रखा जाता है। इस दिन मां अहोई का व्रत रखकर शाम के समय उनकी पूजा की जाती है। व्रत की सही विधि जानना आवश्यक है ताकि पूजा पूर्ण श्रद्धा और विधिपूर्वक हो सके। इस व्रत में सुबह से निर्जल उपवास रखा जाता है और संध्या के समय अहोई माता की चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाकर पूजा की जाती है।
पूजा के लिए थाली में रोली, चावल, जल से भरा लोटा, धागा, हलवा-पूरी, और विशेष रूप से ‘सैयां’ (सुई जैसा लकड़ी का उपकरण) रखी जाती है। कथा सुनने के बाद घर की बड़ी बुजुर्ग महिला से आशीर्वाद लिया जाता है। इस व्रत के कुछ खास नियम हैं जिन्हें पालन करना जरूरी होता है, जैसे कि व्रत के दिन अन्न जल ग्रहण न करना, और सूर्यास्त के बाद ही पूजा करना।
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Ahoi Ashtami Vrat Vidhi
1. व्रत का संकल्प और शुरुआत
- अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और भगवान से व्रत का संकल्प लें:
“मैं आज अहोई माता का व्रत संतान सुख एवं उनकी लंबी उम्र के लिए रख रही हूँ।”
2. पूजा स्थान की तैयारी
- घर के एक स्वच्छ और शांत कोने में पूजा का स्थान बनाएं।
- दीवार पर अहोई माता का चित्र या हाथ से बनाई गई अहोई की पेंटिंग लगाएं।
(यदि संभव हो तो सात पुत्रों के चित्र भी बनाएं)
3. पूजा सामग्री (Puja Samagri)
- जल से भरा लोटा (कलश)
- रोली, चावल (अक्षत), हल्दी
- धागा (राखी जैसा), सिंदूर
- दीपक और तेल/घी
- नई चुन्नी या वस्त्र
- हलवा, पूरी, पुए, साबूदाने की खीर
- चांदी की अहोई (यदि घर में हो)
- सैयां (लकड़ी की सुई या कांटे जैसी वस्तु, प्रतीकात्मक)
4. पूजा का समय
- अहोई अष्टमी की पूजा संध्या के समय, यानी जब तारे दिखने लगें तब की जाती है।
- कुछ स्थानों पर चंद्रमा निकलने के बाद पूजा होती है, परन्तु सामान्यतः तारा दिखने पर पूजा की परंपरा है।
5. पूजन विधि (Poojan Vidhi)
- सबसे पहले दीपक जलाएं और अहोई माता को प्रणाम करें।
- जल से भरे कलश को स्थापित करें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- अहोई माता को रोली, चावल, फूल, वस्त्र आदि अर्पित करें।
- हलवा-पूरी और अन्य भोग मां अहोई को अर्पित करें।
- धागा माता के चित्र पर लपेटें या उन्हें अर्पण करें।
- अहोई अष्टमी की कथा श्रद्धा से सुनें या सुनाएं।
- पूजा के बाद सास या घर की किसी बुजुर्ग महिला से आशीर्वाद लें।
6. अहोई अष्टमी व्रत कथा
- व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है।
यह कथा उस महिला की होती है जिसके हाथों गलती से साही (साही की बच्ची) की मृत्यु हो जाती है और वह अपने बच्चों को खो बैठती है। बाद में अहोई माता की पूजा कर वह अपने बच्चों को पुनः पा लेती है।
7. विशेष नियम और सावधानियाँ
- व्रती स्त्री को पूरे दिन निर्जल व्रत रखना होता है (कुछ स्थानों पर फलाहार मान्य है)।
- पूजा से पहले तक कोई अन्न या जल ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- पूजा के समय मन एकाग्र और श्रद्धा-भाव से भरा होना चाहिए।
- पूजा में उपयोग किए गए धागे को सिंदूर से रंगकर कलाई में बांध सकती हैं।
8. पूजन के बाद
- कथा और पूजा के बाद तारे या चंद्रमा को अर्घ्य (जल) दें।
- फिर व्रत खोलें (भोग प्रसाद ग्रहण करें)।
- यदि परिवार में छोटी संतानें हों तो उन्हें भी प्रसाद दें और माता का आशीर्वाद दिलाएं।
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ahoi ashtami puja vidhi | Full Video In Hindi
Benefits of Ahoi Ashtami Vrat Vidhi
Ahoi Ashtami Vrat Vidhi करने से संतान को लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत विशेष रूप से अपने संत की रक्षा और आभूषण के भविष्य के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अहोई माता की पूजा करने से संत पर आने वाले सभी संकट, रोग और बुरी शक्तियों का नाश होता है। इस व्रत से उन महिलाओं को भी अत्यंत फल मिलता है जो संत प्राप्ति की कामना करती हैं। व्रत के माध्यम से न केवल धार्मिक श्रद्धा हल्दी है, बल्कि आत्म-अनुशासन और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। परिवार में सुख-शांति, प्रेम और स्मारक का वातावरण बना रहता है, और संत के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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