
Brihaspativar Vrat Vidhi : बृहस्पतिवार का व्रत गुरु बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थान को साफ कर पीले फूल, हल्दी, चने की दाल, गुड़ और केले से भगवान विष्णु या बृहस्पति देव की पूजा करें। पीले रंग की वस्तुओं का अधिक उपयोग करें और व्रत कथा अवश्य सुनें। दिनभर फलाहार या केवल एक बार सात्विक भोजन करें जिसमें नमक का उपयोग न हो। इस दिन पीले कपड़े और अन्न का दान करना शुभ माना जाता है। व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक करें तो यह व्रत संतान सुख, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है।
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Brihaspativar Vrat Vidhi
1. प्रातः काल की तैयारी:
- सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नान करके स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें।
- घर के पूजा स्थान को साफ करके पीले वस्त्र से ढक दें।
- व्रत करने वाले को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए।
2. पूजन सामग्री:
- पीला फूल, पीला चंदन, हल्दी, चने की दाल, गुड़, केले, पीले वस्त्र, कपूर, दीपक, धूपबत्ती।
- बृहस्पति देव या भगवान विष्णु की तस्वीर या प्रतिमा।
- पूजा में प्रयोग हेतु जल से भरा तांबे का कलश।
3. पूजा विधि:
- पहले हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें:
“ॐ गुरवे नमः, आज मैं बृहस्पतिवार का व्रत श्रद्धा पूर्वक कर रहा/रही हूँ। कृपया मेरी सभी बाधाएँ दूर करें और आशीर्वाद दें।” - बृहस्पति देव या भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र पर चंदन, हल्दी, पीले फूल, अक्षत अर्पित करें।
- केले का भोग लगाएं।
- दीपक जलाकर धूप दें और व्रत कथा सुनें अथवा पढ़ें।
4. व्रत नियम:
- इस दिन नमक रहित भोजन ग्रहण करें।
- एक समय सात्विक भोजन करें या फलाहार लें।
- झूठ न बोलें, बुरे विचारों से दूर रहें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- पीले रंग का अधिकतम प्रयोग करें – वस्त्र, भोजन और पूजा सामग्री में।
5. दान और सेवा:
- इस दिन पीले वस्त्र, पीली मिठाई, हल्दी, चने की दाल, केले आदि का दान ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को करें।
- कथा के अंत में व्रत कथा की पुस्तक और पीली वस्तु का दान शुभ होता है।
6. व्रत का समापन:
अंत में प्रणाम कर अपने व्रत का समापन करें।
शाम को पुनः दीपक जलाकर भगवान विष्णु/गुरु बृहस्पति की आरती करें।
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Brihaspativar Vrat Vidhi | Full Video In Hindi
Benefits Of Brihaspativar Vrat Vidhi
बृहस्पतिवार व्रत करने से व्यक्ति को बृहस्पति ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत विशेष रूप से वैवाहिक जीवन की समस्याओं, विवाह में आने वाली रुकावटों, संतान संबंधी चिंताओं और आर्थिक तंगी को दूर करने में सहायक माना जाता है। इससे बुद्धि, ज्ञान, आध्यात्मिकता और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस व्रत को करता है, उसके जीवन में गुरु की कृपा बनी रहती है और सभी शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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