
नवरात्रि के पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप Shailputri Mata की पूजा की जाती है। ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इनका वाहन वृषभ (बैल) है, इसलिए इन्हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है। माँ शैलपुत्री शक्ति और भक्ति का प्रतीक हैं, और इनकी कृपा से साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस दिन माता की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है, क्योंकि यह नवदुर्गा की उपासना का प्रारंभिक दिन होता है।
शैलपुत्री माता की आरती करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। भक्तजन दीप प्रज्वलित कर, माँ की आरती गाते हुए, भक्ति-भाव से उनकी स्तुति करते हैं, जिससे माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन माता को घी का भोग अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ माँ शैलपुत्री की आराधना करने से साधक के जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और उसे सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
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Shailputri Mata Aarti – Day 1 Navratri Aarti
(पहली शैल पुत्री कहलावे)
शैल पुत्री मां बैल असवार।
करें देवता जय जय कार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी न जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो।
घी का सुन्दर दीप जलाकें।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मन्त्र गाये।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाये।
जय गिरिराज किशोरी अम्बे।
शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे।
मनो कामना पूर्ण कर दो।
मुझे सदा सुख सम्पति भर दो।
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शैलपुत्री माता की पूजा का महत्व – Shailputri Mata Aarti
नवरात्रि के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि यह दिन माँ दुर्गा की उपासना का आरंभिक चरण होता है। माँ शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और देवी पार्वती के स्वरूप में पूजित होती हैं। इनका वाहन वृषभ (बैल) है और इनके एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल सुशोभित रहता है। इन्हें सत्य, शुद्धता और तपस्या की देवी माना जाता है।
माँ शैलपुत्री की पूजा से आध्यात्मिक शक्ति, मानसिक शांति और आत्मबल प्राप्त होता है। यह दिन साधकों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि माँ की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का संचार होता है। इनके आशीर्वाद से सभी प्रकार के कष्ट, रोग, भय और शत्रु बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।
नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री को घी का भोग अर्पित करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है और शरीर निरोगी रहता है। जो भक्त श्रद्धा और समर्पण के साथ माँ की आराधना करते हैं, उन्हें सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन की गई उपासना जीवन में आने वाली सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट कर भक्त को माँ दुर्गा के सान्निध्य का अनुभव कराती है।
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