Durga Kavach – श्री दुर्गा कवच | मां की कृपा पाने का दिव्य उपाय | Chalisa Sanchay

Shri Durga Kavach का पाठ श्रद्धा, भक्ति और शुद्धता के साथ करने से माँ दुर्गा की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इसे प्रातः या संध्या के समय, शुद्ध और शांत स्थान पर बैठकर करना शुभ माना जाता है। माँ दुर्गा की प्रतिमा के सामने दीप जलाकर, गणपति वंदना और ध्यान के बाद पाठ आरंभ करें। लाल वस्त्र धारण कर, मन को एकाग्र रखते हुए पूरे समर्पण से पाठ करें।

Durga Kavach पाठ समाप्त होने के बाद माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद अर्पित करें। नवरात्रि, अष्टमी, नवमी, पूर्णिमा या किसी विशेष अनुष्ठान में इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। यह नकारात्मक ऊर्जा, शत्रु बाधा और कष्टों से रक्षा करता है तथा जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

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Durga Kavach In Hindi | ऋषि मारकंडे ने पूछा जभी।

ऋषि मारकंडे ने पूछा जभी।
दया करके ब्रह्मा जी बोले तभी।
कि जो गुप्त मन्त्र है संसार में।
हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में।
हर इक का जो कर सकता उपकार है।
जिसे जपने से बेड़ा ही पार है।
पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का।
जो हर काम पूरा करे सवाली का।
सुनो मारकंडे मैं समझाता हूं।
मैं नव दुर्गा के नाम बतलाता हूं।
कवच की मैं सुन्दर चौपाई बना।
जो अत्यन्त है गुप्त देऊं बता।

नव दुर्गा का कवच यह पढ़े जो मन चित लाये।
उस पे किसी प्रकार का कभी कष्ट न आये।
कहो जय जय महारानी की, जय दुर्गा अष्ट भवानी की।
पहली शैलपुत्री कहलावे, दूसरी ब्रह्मचारणी मन भावें।
तीसरी चन्द्रघटा शुभनाम, चौथी कूशमांडा सुख धाम।
पांचवी देवी असकन्ध माता, छटी कात्यायनी विख्याता।
सातर्वी काल रात्रि महामाया, आठवीं महां गौरी जगजाया।
नौंवी सिद्धि धात्री जग जाने, नव दुर्गा के नाम बखाने।
महा संकट में वन में रण में, रोग कोई उपजे निज तन में।
महा विपति में व्योहार में, मान चाहे जो राज दरबार में।
शक्ति कवच को सुने सुनाये, मनोकामना सिद्धि नरपाये।

|| दोहा ||

चामुण्डा है प्रेत पर वैष्णवी गरुड़ असवार।
बैल चढ़ी महेश्वरी, हाथ लिये हथियार।
हंस सवारी वाराही की मोर चढ़ी दुर्गा कौमारी।
लक्ष्मी देवी कमल आसीना, ब्रहमी हंस चढ़ी ले वीणा।
ईश्वरी सदा बैल असवारी, भक्तन की करती रखवारी।
शंख चक्र शक्ति त्रिशूला, हल मूसल कर कमल के फूला।
दैत्य नाश करने के कारण, रुप अनेक कीन है धारण।
बार बार चर्णन सिर नाऊं, जगदम्बे के गुण को गाऊं।
कष्ट निवारण बलशाली मां, दुष्ट संघारण महांकाली मां।
कोटि कोटि माता प्रणाम, पूर्ण कीजो मेरे काम।
दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ।
मेरी रक्षा को सदा सिंह चढ़ी मां आओ।
कहो जय जय महारानी की, जय दुर्गा अष्ट भवानी की।

अग्नि से अग्नि देवता, पूर्व दिशा में ऐन्द्री।
दक्षिण में वाराही मेरी, नैऋत्य में खड़ग धारणी।
वायु से मां मृगवाहिनी, पश्चिम में देवी वारुणी।
उत्तर में मां कौमारी जी, ईशान में शूलधारी जी।
ब्रह्माणी माता अर्श पर, मां वैष्णवी इस फर्श पर।
चामुण्डा दस दिशाओं में हर कष्ट तुम मेरा हरो।
संसार में माता मेरी रक्षा करो, रक्षा करो।
सन्मुख मेरे देवी जया, पाछे हो माता विजया।
अजिता खड़ी बायें मेरे, अपराजिता दार्ये मेरे।
उद्योतिनी मां शिखा की, मां उमा देवी सिर की ही।
माला धारी ललाट की, और भृकुटी की मां यशस्वनी।

भृकुटी के मध्य त्रयनेत्रा, यम घण्टा दोनों नासिका।
काली कापोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी।
नासिका में अंश अपना मां सुगन्धा तुम धरो।
संसार में माता मेरी रक्षा करो, रक्षा करो।
ऊपर व नीचे होठों की मां चर्चका अमृतकली।
जीभा की माता सरस्वती, दांतों की कौमारी सती।
इस कंठ की मां चण्डिका और चित्रघण्टा घण्टी की।
कामाक्षी मां ठोड़ी की, मां मंगला इस वाणी की।
ग्रीवा की भद्रकाली मां, रक्षा करे बलशाली मां।
दोनों भुजाओं की मेरे रक्षा करें धनु धारणी।
दो हाथों के सब अंगों की रक्षा करे जगतारणी।
शूलेश्वरी, कूलेश्वरी, महादेवी, शोक विनाशनी।

The Durga Chalisa: अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाइये

छाती स्तनों और कन्धों की रक्षा करें जगवासिनी।
हृदय उदर और नाभिके कटि भाग के सब अंगो की।
गुहमेश्वरी मां पूतना, जग जननी श्यामा रंग की।
घुटनों जंघाओं की करे रक्षा वोह विन्ध्य वासिनी।
टखनों व पांव की करें रक्षा वो शिव की दासिनी।

|| दोहा ||

रक्त मांस और हड्डियों से जो बना शरीर।
आंतो और पित वात में भरा अग्न और नीर।
बल बुद्धि अहंकार और प्राण अपान समान।
सत, रज, तम के गुणों में फंसी है यह जान।
धार अनेकों रूप ही रक्षा करियो आन।
तेरी कृपा से ही मां मेरा है कल्याण।
आयु यश और कीर्ति धन सम्पत्ति परिवार।
ब्रह्माणी और लक्ष्मी पार्वती जगतार।
विद्या दे मां सरस्वती सब सुखों की मूल।

दुष्टों से रक्षा करो हाथ लिये त्रिशूल।
भैरवी मेरी भार्या की रक्षा करो हमेश।
मान राज दरबार में देवें सदा नरेश।
यात्रा में दुःख कोई न मेरे सिर पर आये।
कवच तुम्हारा हर जगह मेरी. करे सहाये।
ऐ जग जननी कर दया इतना दो वरदान।
लिखा तुम्हारा कवच यह पढ़े जो निश्चय सान।
मनवांछित फल पाए वह मंगल मोद बसाए। नाग राज़
कवच तुम्हारा पढ़ते ही नवनिधि घर आये।

ब्रह्मा जी बोले सुनो मारकन्डे,
यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया।
रहा आज तक था गुप्त भेद सारा,
जगत की भलाई को -मैंने बताया।
सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित,
है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया।
जिसने श्रद्धा से इस को पढ़ा जो,
सुना तो भी मुंह मांगा वरदान पाया।
जो संसार में अपने मंगल को चाहे,
तो हरदम यही कवच गाता चला जा।
बियावान जंगल दिशाओं दशों में,
तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा।

तू जल में, तू थल में, तू अग्नि पवन में,
कवच पहन कर मुस्कराता चला जा।
निडर हो विचर मन जहां तेरा चाहे,
तू कदम आगे बढ़ाता चला जा।
तेरा मान धन धाम इससे बढ़ेगा,
तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाये।
यही मन्त्र, यन्त्र यही तन्त्र तेरा,
यही तेरे सिर से है संकट हटाये।
यही भूत और प्रेत के भय का नाशक,
यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये।
इसे नित्य प्रति श्रद्धा से पढ़ कर।
जो चाहे तो मुंह मांगा वरदान पाये।

|| दोहा ||

इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढ़े।
कृपा से आदि भवानी की बल और बुद्धि बढ़े।
श्रद्धा से जपता रहे जगदम्बे का नाम।
सुख भोगे संसार में अन्त मुक्ति सुखधाम।
कृपा करो मातेश्वरी, बालक मैं नादान।
तेरे दर पर आ गिरा, करो मैय्या कल्याण।

Durga Kavach Lyrics | In Hindi |Durga Kavach Bhajan

https://youtu.be/5D5wEW5Qtpw?si=iTwLpVuYDF6Mroph

श्री दुर्गा कवच के पाठ करने के लाभ – Durga Kavach

Shri Durga Kavach का पाठ सनातन परंपरा में अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। यह कवच माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक दिव्य साधन है, जो व्यक्ति को न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी सशक्त बनाता है। इसके नियमित पाठ से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएँ, जैसे शत्रु भय, नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियाँ, बुरे स्वप्न और आकस्मिक दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है। माँ दुर्गा की शक्ति से यह कवच एक अदृश्य सुरक्षा कवच का निर्माण करता है, जो व्यक्ति को हर प्रकार के अनिष्ट से बचाता है।

इस पवित्र स्तोत्र के जाप से मानसिक शांति प्राप्त होती है और तनाव, चिंता तथा अवसाद जैसी समस्याएँ दूर होती हैं। यह आत्मविश्वास और साहस को बढ़ाने में सहायक होता है, जिससे व्यक्ति कठिन परिस्थितियों का भी धैर्यपूर्वक सामना कर सकता है। जो साधक श्रद्धा और भक्ति से इसका नित्य पाठ करते हैं, उन्हें माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि पारिवारिक कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए इसका नियमित पाठ किया जाता है। कई भक्तों का अनुभव रहा है कि Shri Durga Kavach के प्रभाव से उनके जीवन में चमत्कारी बदलाव आए हैं, बाधाएँ दूर हुई हैं, और उन्होंने अपने कार्यों में सफलता प्राप्त की है। अतः जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस कवच का पाठ करता है, उसे माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन के समस्त कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

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