Krishna Chalisa: प्रेम और आनंद का स्रोत | Chalisa Sanchay

श्री कृष्ण चालीसा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति में रचित एक प्रसिद्ध भक्ति स्तोत्र है, जिसमें 40 दोहों और चौपाइयों के माध्यम से उनके दिव्य चरित्र, लीलाओं और गुणों का गुणगान किया गया है। इसका नित्य पाठ करने से भक्ति और आस्था बढ़ती है, संकटों से मुक्ति मिलती है, मानसिक शांति और प्रसन्नता प्राप्त होती है तथा सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। विशेष रूप से जन्माष्टमी, एकादशी और गुरुवार के दिन इसका पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है। यदि कोई विशेष मनोकामना हो तो लगातार 40 दिन तक श्रद्धापूर्वक पाठ करने से पूर्ण होती है। श्री कृष्ण चालीसा का प्रारंभिक भाग इस प्रकार है – “श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥ जय यदुनन्दन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नंदन॥ जय यशोदा सुत नंद दुलारे। जय प्रभु भक्तन के हितकारे॥” इसका नियमित रूप से पाठ करने से श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

श्री कृष्ण चालीसा

।। दोहा।।

बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम ॥

पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज ॥

||चौपाई||

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन ।
जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥

जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥

जय नट-नागर नाग नथैया ।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ॥

पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।
आओ दीनन कष्ट निवारो ॥

वंशी मधुर अधर धरी तेरी ।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो ॥

आओ हरि पुनि माखन चाखो ।
आज लाज भारत की राखो ॥

गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥

रंजित राजिव नयन विशाला ।
मोर मुकुट वैजयंती माला ॥

कुण्डल श्रवण पीतपट आछे ।
कटि किंकणी काछन काछे ॥

नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥

मस्तक तिलक, अलक घुंघराले ।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥

करि पय पान, पुतनहि तारयो ।
अका बका कागासुर मारयो ॥

मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला ।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला ॥

सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई ।
मसूर धार वारि वर्षाई ॥

लगत-लगत ब्रज चहन बहायो ।
गोवर्धन नखधारि बचायो ॥

लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई ॥

दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।
कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥

नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें ॥

करि गोपिन संग रास विलासा ।
सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥

केतिक महा असुर संहारयो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो ॥

मात-पिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहं राज दिलाई ॥

महि से मृतक छहों सुत लायो ।
मातु देवकी शोक मिटायो ॥

भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।
लाये षट दश सहसकुमारी ॥

दै भिन्हीं तृण चीर सहारा ।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा ॥

असुर बकासुर आदिक मारयो ।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो ॥

दीन सुदामा के दुःख टारयो ।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो ॥

प्रेम के साग विदुर घर मांगे ।
दुर्योधन के मेवा त्यागे ॥

लखि प्रेम की महिमा भारी ।
ऐसे श्याम दीन हितकारी ॥

भारत के पारथ रथ हांके ।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके ॥

निज गीता के ज्ञान सुनाये ।
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये ॥

मीरा थी ऐसी मतवाली ।
विष पी गई बजाकर ताली ॥

राना भेजा सांप पिटारी ।
शालिग्राम बने बनवारी ॥

निज माया तुम विधिहिं दिखायो ।
उर ते संशय सकल मिटायो ॥

तब शत निन्दा करी तत्काला ।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ॥

जबहिं द्रौपदी टेर लगाई ।
दीनानाथ लाज अब जाई ॥

तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला ।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला ॥

अस नाथ के नाथ कन्हैया ।
डूबत भंवर बचावत नैया ॥

सुन्दरदास आस उर धारी ।
दयादृष्टि कीजै बनवारी ॥

नाथ सकल मम कुमति निवारो ।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो ॥

खोलो पट अब दर्शन दीजै ।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ॥

।। दोहा।।

यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥

krishna chalisa lyrics | In Hindi & English

Benefits Of Chanting Krishna Chalisa

श्री कृष्ण चालीसा का नियमित पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है, चिंता और तनाव को दूर करता है तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। संकटों से मुक्ति, नकारात्मक शक्तियों से रक्षा और आत्मिक शक्ति में वृद्धि होती है। यह सौभाग्य, सफलता और पारिवारिक सुख-शांति लाने में सहायक होता है। इसके पाठ से रोग और कष्टों का नाश होता है, दया, प्रेम और सहनशीलता जैसे गुण विकसित होते हैं तथा संतान सुख की प्राप्ति में भी लाभकारी माना जाता है। अंततः यह चालीसा व्यक्ति को कृष्ण भक्ति में लीन कर मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।

Also Read:

Scroll to Top