
Ekadashi Vrat Vidhi सरल, शुद्ध और श्रद्धापूर्वक पालन की जाने वाली प्रक्रिया है, जो भक्तों को आध्यात्मिक बल और भगवान विष्णु की कृपा प्रदान करती है। इस व्रत में प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं, फिर भगवान विष्णु की पूजा दीप, पुष्प, तुलसी दल, धूप और नैवेद्य से की जाती है। व्रती दिनभर उपवास रखता है और फलाहार या जल पर रहता है, जबकि कुछ लोग निर्जल उपवास भी करते हैं। दिनभर भगवान विष्णु के मंत्रों, स्तोत्रों एवं भजन-कीर्तन के माध्यम से उपासना की जाती है, और रात्रि में जागरण का विशेष महत्व होता है।
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Ekadashi Vrat Vidhi
एक दिन पूर्व (दशमी तिथि)
- सात्विक भोजन करें – दशमी के दिन सूर्यास्त से पूर्व सात्विक और हल्का भोजन करें।
- तामसिक वस्तुओं से परहेज करें – लहसुन, प्याज, मांस, शराब, दाल, चावल आदि का सेवन न करें।
- मानसिक तैयारी करें – मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहने का संकल्प लें।
एकादशी तिथि को
- प्रातः स्नान व संकल्प – ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें:
“आज मैं एकादशी व्रत का पालन भगवान विष्णु की कृपा के लिए करूंगा/करूंगी।” - व्रत का स्वरूप चुनें
- निर्जला व्रत (बिना अन्न व जल)
- सजल व्रत (केवल जल ग्रहण)
- फलाहारी व्रत (फल, दूध, सूखे मेवे आदि)
- पूजन विधि
- घर में साफ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति/चित्र स्थापित करें।
- दीपक जलाएं, गंध, पुष्प, धूप, नैवेद्य, तुलसी पत्र अर्पित करें।
- विष्णु सहस्रनाम, विष्णु अष्टोत्तर नामावली, भगवद्गीता पाठ करें।
- मंत्र जाप करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
- दिनभर व्रत व भक्ति में रहें
- झूठ, क्रोध, निंदा, गप्पबाजी से दूर रहें।
- अधिक से अधिक भगवान विष्णु का स्मरण करें।
- रात्रि जागरण करें
- भजन-कीर्तन करें, विष्णु स्तुति करें।
- रात्रि जागरण को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।
द्वादशी तिथि को
- ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराएं व दान दें –
अन्न, वस्त्र, दक्षिणा आदि का दान करें। - पारायण करें व्रत का –
भगवान विष्णु से क्षमा प्रार्थना कर व्रत का विधिपूर्वक समापन करें। - सात्विक भोजन से व्रत तोड़ें (पारणा करें) –
सूर्योदय के बाद फलाहार या हल्के भोजन से व्रत खोलें।
विशेष निर्देश
- व्रत के दौरान तुलसी पत्र भगवान को अवश्य अर्पित करें।
- एकादशी के दिन चावल, उड़द, तामसिक भोजन, ब्रह्महत्या, परनिंदा, झूठ बोलना आदि निषिद्ध हैं।
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Ekadashi Vrat Vidhi | Full Video in Hindi
एकादशी व्रत के लाभ और धार्मिक महत्व
एकादशी व्रत का पालन करने से आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक तीनों स्तरों पर शुद्धि प्राप्त होती है। यह व्रत भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने का माध्यम है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत आत्मसंयम, उपासना और सात्विक जीवनशैली का प्रतीक है, जिससे मन को शांति और जीवन को संतुलन मिलता है।
साथ ही, उपवास के वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी यह व्रत पाचन तंत्र को विश्राम देने और शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक है। इसलिए एकादशी व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली सुधार का साधन भी है।
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