Somvar Vrat Katha Aarti​ : भगवान शिव की कृपा पाने का सरल मार्ग

Somvar Vrat Katha Aarti​ भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, जिसे भक्तजन श्रद्धा और विश्वास के साथ निभाते हैं। इस व्रत को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रहती है। सोमवार के दिन भक्त उपवास रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिसमें व्रत कथा का श्रवण और आरती का आयोजन अनिवार्य माना जाता है।

व्रत कथा में शिवजी की कृपा से जीवन में आए चमत्कारी परिवर्तनों का वर्णन होता है, जो श्रद्धालु को भक्ति और संयम का मार्ग दिखाता है। वहीं शिवजी की आरती, भक्ति की पूर्णता का प्रतीक है, जिसके माध्यम से भक्त अपने मन, वचन और कर्म से भगवान का गुणगान करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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Somvar Vrat Katha Aarti

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

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Somvar Vrat Katha Aarti | Full Video | In Hindi

सोमवार व्रत के लाभ और धार्मिक महत्व

सोमवार व्रत का हिंदू धर्म में अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

इस व्रत के पालन से मानसिक शांति, पारिवारिक सुख, दांपत्य जीवन में सामंजस्य तथा आर्थिक उन्नति प्राप्त होती है। विवाह में विलंब हो रहा हो या जीवन में कोई बड़ी बाधा आ रही हो, तो सोमवार व्रत करने से वह शीघ्र दूर हो जाती है। यह व्रत व्यक्ति को संयम, अनुशासन और भक्ति की दिशा में प्रेरित करता है, जिससे उसका आत्मिक विकास होता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के समर्पण, प्रेम और तपस्या का प्रतीक है। शास्त्रों में उल्लेख है कि स्वयं माता पार्वती ने भी भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर सोमवार व्रत किया था। अतः यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित कन्याओं के लिए भी फलदायी माना गया है।

कुल मिलाकर, सोमवार व्रत न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्रदान करता है, बल्कि यह भक्त को आध्यात्मिक चेतना और शिवभक्ति की ओर अग्रसर करता है।

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