9th Day Of Navratri : माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि और मुहूर्त | Chalisa Sanchay

9th Day Of Navratri: नवरात्रि का नौवां दिन, जिसे नवमी तिथि कहा जाता है, माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है। माता के इस स्वरूप की पूजा 6 अप्रैल को की जाएगी। माँ सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों की दात्री कहा जाता है। उन्हें चार भुजाओं में गदा, चक्र, शंख और कमल धारण करते हुए दिखाया जाता है। वे एक कमल पर या सिंह पर विराजमान होती हैं और उनकी पूजा से भक्तों को अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।

माँ सिद्धिदात्री ब्रह्मांड की अंतिम शक्ति मानी जाती हैं, जो भक्तों को मोक्ष मार्ग पर अग्रसर करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को भी अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ था, जब उन्होंने माँ सिद्धिदात्री की उपासना की थी।

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9th Day Of Navratri : माँ सिद्धिदात्री

माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि की नवमी तिथि को पूजित देवी हैं, जो देवी दुर्गा का नवम और अंतिम स्वरूप हैं। उनका नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘सिद्धि’ यानी आध्यात्मिक शक्तियाँ और ‘दात्री’ यानी देने वाली। वे सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी हैं और भक्तों को ज्ञान, भक्ति, मोक्ष और अलौकिक शक्तियों से संपन्न करती हैं। माँ सिद्धिदात्री को कमल के आसन पर विराजमान, चार भुजाओं में चक्र, गदा, शंख और कमल धारण करते हुए दर्शाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने भी इन्हीं की उपासना कर अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त किया था। माँ सिद्धिदात्री की उपासना से अज्ञान का अंधकार मिटता है और साधक आत्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर होता है।

9th Day Of Navratri : मां सिद्धिदात्री पूजा का शुभ मुहूर्त

9th Day Of Navratri, यानी राम नवमी, 6 अप्रैल 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा। इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा के साथ कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है।

🔸 राम नवमी (6 अप्रैल 2025)
🔹 पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 11:56 AM से 12:46 PM तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार थोड़े अंतर हो सकते हैं)
🔹 नवमी तिथि प्रारंभ: 5 अप्रैल 2025 को रात 08:08 PM से
🔹 नवमी तिथि समाप्त: 6 अप्रैल 2025 को रात 05:22 PM तक

9th Day Of Navratri : मां सिद्धिदात्री की कथा

माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि की नवमी तिथि को पूजित देवी हैं और देवी दुर्गा के नवम स्वरूप के रूप में जानी जाती हैं। वे सभी सिद्धियों की दात्री हैं और ब्रह्मांड की अंतिम शक्ति मानी जाती हैं। उनके बारे में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं, जिनमें से एक प्रमुख कथा इस प्रकार है:

जब सृष्टि का आरंभ नहीं हुआ था, तब केवल अंधकार था और कोई भी जीव या देवता अस्तित्व में नहीं था। तभी आदिशक्ति ने स्वयं को प्रकट किया और ब्रह्मा, विष्णु और महेश को उत्पन्न किया। ब्रह्मा को सृष्टि की रचना, विष्णु को पालन और शिव को संहार की शक्ति प्रदान की गई।

लेकिन शिव को सृष्टि में सामंजस्य बनाए रखने के लिए अष्ट सिद्धियों की आवश्यकता थी—अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इन सिद्धियों की प्राप्ति के लिए भगवान शिव ने देवी आदिशक्ति की कठोर तपस्या की।

माँ आदिशक्ति ने सिद्धिदात्री रूप में प्रकट होकर भगवान शिव को सभी सिद्धियाँ प्रदान कीं। इन शक्तियों की प्राप्ति के बाद ही भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ, जिसमें उनका आधा शरीर स्त्री (देवी शक्ति) का और आधा पुरुष (स्वयं शिव) का होता है। इस प्रकार माँ सिद्धिदात्री को भगवान शिव की गुरु भी माना जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, माँ सिद्धिदात्री ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना के लिए बुद्धि और ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने ब्रह्मा को वेदों और यज्ञों का ज्ञान दिया, जिससे ब्रह्मा ने देव, ऋषि, मनुष्य और सम्पूर्ण चराचर जगत की रचना की।

9th Day Of Navratri : पूजा का महत्व

On 9th Day Of Navratri माँ सिद्धिदात्री की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है। वे सभी आठ सिद्धियों और नौ निधियों की दात्री हैं। उनकी आराधना से साधक को आध्यात्मिक बल, ज्ञान और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। माँ सिद्धिदात्री न केवल भौतिक सुख-संपत्ति प्रदान करती हैं, बल्कि आत्मिक शांति और मोक्ष का मार्ग भी प्रशस्त करती हैं।

मान्यता है कि माँ सिद्धिदात्री की पूजा से जीवन के समस्त कष्ट, रोग, बाधाएँ और अज्ञान का अंधकार दूर हो जाता है। यह पूजा साधक के चित्त को शुद्ध करती है और उसे दिव्य शक्तियों से जोड़ती है। विशेष रूप से इस दिन किया गया कन्या पूजन और मंत्र जाप अत्यंत शुभ और मनोकामना पूर्ति करने वाला माना जाता है।

सच्ची श्रद्धा और भक्ति से माँ सिद्धिदात्री की उपासना करने पर साधक को भय से मुक्ति, ज्ञान की प्राप्ति और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

9th Day Of Navratri : मां सिद्धिदात्री पूजा विधि

1. स्नान एवं संकल्प

  • प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें (सफेद, गुलाबी या पीले रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं)।
  • पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • हाथ में अक्षत, फूल और जल लेकर पूजा का संकल्प लें और अपनी मनोकामना कहें।

2. पूजन सामग्री

  • फूल (गुलाब, कमल या चमेली)
  • धूप, दीप, कपूर
  • नारियल, सुपारी, रोली, चावल
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • चुनरी, चूड़ियाँ, श्रृंगार सामग्री
  • नैवेद्य (फल, मिठाई, विशेष रूप से नारियल या उससे बनी मिठाई)

3. पूजा विधि

  • आवाहन और ध्यान: माँ सिद्धिदात्री का आवाहन करें और उनका ध्यान करें – “हे माँ सिद्धिदात्री, कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें।”
  • पाद्य, अर्घ्य, आचमन: माँ के चरण धोएं (मानसिक रूप से), उन्हें जल अर्पित करें और आचमन कराएं।
  • स्नान व वस्त्र अर्पण: पंचामृत और फिर जल से माँ को स्नान कराएं, वस्त्र व आभूषण अर्पित करें।
  • श्रृंगार व फूल: माँ को श्रृंगार समर्पित करें और फूल अर्पित करें।
  • धूप-दीप व नैवेद्य: धूप, दीप जलाएं और माँ को भोग अर्पित करें।
  • मंत्र जाप:ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • आरती: माँ की आरती करें और पुष्पांजलि अर्पित करें।
  • प्रदक्षिणा व क्षमा याचना: माँ की परिक्रमा करें और पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें।

4. कन्या पूजन (यदि करें):

  • 9 कन्याओं को भोजन कराएं, उन्हें दक्षिणा, चुन्नी, बिंदी, चूड़ियाँ आदि देकर विदा करें।
  • एक लंगूर (बालक) को भी भोजन कराने की परंपरा है।

9th Day Of Navratri : मां सिद्धिदात्री की पूजा का लाभ

9th Day Of Navratri माँ सिद्धिदात्री की पूजा से साधक को आठों सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं – जैसे अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व। इनकी कृपा से मनुष्य को दिव्य चेतना और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।

माँ सिद्धिदात्री की उपासना से न केवल भौतिक सुख-संपत्ति मिलती है, बल्कि मोह, अज्ञान, भ्रम और आत्मिक दोष भी समाप्त होते हैं। उनकी कृपा से जीवन में संतुलन, ज्ञान और विवेक आता है।

जो भक्त सच्चे मन से माँ सिद्धिदात्री का ध्यान और मंत्र जाप करते हैं, उन्हें मनचाही सिद्धि, सौभाग्य, आरोग्यता, और आध्यात्मिक जागृति का वरदान मिलता है। विशेष रूप से इस दिन किया गया कन्या पूजन और मंत्र जाप अत्यंत फलदायक होता है।

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